भारत कण कण में जाग उठा

01-04-2021

भारत कण कण में जाग उठा

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 178, अप्रैल प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

भारत कण कण में जाग उठा,

दुनिया ने हमें प्रणाम किया।

 

वसुधैव कुटुंबकम रीति रही,

सुंदर विचार को मान दिया;

है ऋषि मुनियों का देश मेरा,

जग को ज़ीरो का ज्ञान दिया।

 

जन जन में है जाग्रत भारत,

निर्मल भारत, सुंदर भारत;

है शांति शक्ति का दूत बना,

हो गया आत्मनिर्भर भारत।

 

राफेल लेकर उड़ता भारत,

रिपु के चक्षु में गड़ता भारत;

जल में, थल पर, नभ में देखो,

अद्भुत कौशल करता भारत।

 

प्रज्वल मशाल ले देश मेरा,

है विश्वगुरु की डगर चला;

जग को हम वैक्सीन दे,

मानवता का कर रहे भला।

 

नव राष्ट्र सृजन का नारा दे,

मोदी जी ने आह्वान किया;

भारत कण कण में जाग उठा,

दुनिया ने हमें प्रणाम किया।

 

भारत कण कण में जाग उठा,

दुनिया ने हमें प्रणाम किया।

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