मेरा वुजूद तेरी नाराज़गी से पिघल जाता है

15-05-2023

मेरा वुजूद तेरी नाराज़गी से पिघल जाता है

संजय कवि ’श्री श्री’ (अंक: 229, मई द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

कभी ग़ौर से देख भी लिया कर, मेरे रहनुमा! 
मेरा वुजूद तेरी नाराज़गी से पिघल जाता है। 

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