चेतना अजर अमर है

15-08-2025

चेतना अजर अमर है

कृषभो (अंक: 282, अगस्त प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

आत्मा का सिद्धांत कुछ ऐसा, 
कि चेतना अजर अमर है; 
जीवन से पूर्व, जीवन में, और, 
जीवन के बाद भी सफ़र है। 
 
अनुभूति तुम्हें देखकर ऐसी, 
कि हम पहले भी मिले हैं; 
पुलक पुलक हँसते हुए पुष्प, 
पहले भी खिले हैं। 
 
मेरे नेह से स्फुटित अंकुर, 
सब बता जाते हैं; 
तुम युगों युगों से अपने हो, 
जता जाते हैं। 
 
आत्मा का सिद्धांत कुछ ऐसा, 
कि चेतना अजर अमर है . . . 

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