देश के दुश्मनों की देशभक्ति
डॉ. प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
देशभक्ति अब राष्ट्रगान से नहीं, यूट्यूब चैनल की सब्सक्राइबर्स संख्या से मापी जाती है।
आज़ादी की लड़ाई में गाँधी ने चरखा चलाया था, आज का युवा गिंबल और कैमरा चलाता है।
और कैमरा भी ऐसा जो जवान की क़ुर्बानी को नहीं, बल्कि सरकार की बुराई को रिकॉर्ड करता है—क्योंकि टीआरपी वहाँ से मिलती है, देशभक्ति नहीं, कंट्रोवर्सी बिकती है।
बात हो रही है उन “स्वघोषित डिजिटल स्वातंत्र्य सेनानियों” की, जो दिखते भारतीय हैं, खाते भारत का नमक हैं, पर फिर उसी नमक को यूट्यूब पर थूक-थूक कर धोते हैं। ये वही हैं जो चाय पीते हुए चीन की जय बोलते हैं, और गर्मागर्म समोसे खाते हुए भारत की नीतियों पर ठंडे तथ्यों में मिर्च-मसाले लगाकर भ्रामक ‘रिव्यू’ बना डालते हैं।
जब धारा 370 हटी, तो कश्मीर के पहाड़ों में कड़कड़ाती उम्मीद की धूप आई। घाटी के होटल फिर गुलज़ार हुए, टैक्सी वाले मुस्कराए, शाल बेचने वाली अम्मा जी बोली, “अब रोटियाँ जलती नहीं, पकती हैं।”
मगर तभी प्रकट हुईं–“वंदेमातरम-गायिका यूट्यूबर देवी।”
वीडियो शुरू होता–“जय हिंद . . . जय भारत . . .”
और दो मिनट बाद– “CRPF क्या करती है, सरकार क्या छिपाती है, देखें ये एक्सक्लूसिव फुटेज . . . ”
भैया, फुटेज नहीं, फूट रही है तेरी देशद्रोही भावना।
भारत माता की जय बोलकर, भारत की ही वर्दी पर लांछन लगाना कौन-सी बुद्धिमता . . .??
जब सेना गोपनीय रणनीति बनाती है, तो तुम टाइटल देते हो—“Exposing Indian Army’s Secrets”—और फिर विदेशों से फ़ॉलोअर और डॉलर दोनों माँगते हो!
अब हद देखिए, जिस महिला यूट्यूबर ने सेना की गतिविधियों को ‘जानकारी के नाम पर जासूसी की चाशनी में डुबोकर’ दुनिया को परोस दिया—वो हर वीडियो की शुरूआत ‘जय हिंद’ और अंत ‘वंदे मातरम्’ से करती रही।
क्या यही देशभक्ति है?
या एक नई क़िस्म की देशद्रोहिता–जो ‘कंटेंट’ के नाम पर राष्ट्र की नींव खोदती है?
अब समय है—कि ऐसे डिजिटल देशद्रोहियों पर नया क़ानून बने।
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उनकी यूट्यूब कमाई रक्षा कोष में जमा हो।
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उनकी यात्रा सीमा चौकी तक सीमित हो।
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उनके कैमरे BSF को सौंप दिए जाएँ, ताकि सही तस्वीर देश देखे।
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और जो सीक्रेट डेटा लीक करे, उसे आजन्म “डिजिटल कारावास” दिया जाए—इंटरनेट के बिना।
अब हमें सिर्फ़ बॉर्डर पर नहीं, ब्रॉडबैंड पर भी बंकर बनाने होंगे।
देश के दुश्मन अब सरहद पार से नहीं, यहाँ घर के भीतर बैठकर वीडियो अपलोड कर रहे हैं।
और इन पर सटीक टिप्पणी बस यही कहती है—
“ये राष्ट्रभक्त इतने ख़तरनाक हैं, कि ये देश से प्यार करते हुए, देश की ही हत्या कर सकते हैं!”
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