विवाह आमंत्रण पिकनिक पॉइंट
डॉ. प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
विवाह, जो कभी सात फेरे और चुटकी भर सिंदूर से परिभाषित होता था, अब “फ़ेयर एंड लवली इवेंट’ बन चुका है। पहले जहाँ शहनाई की धुन सुनकर लोग ख़ुश होते थे, अब डीजे के बेस पर थिरकने वाले रिश्तेदार ही असली ‘पारिवारिकता’ का प्रमाण बन गए हैं। विवाह अब ऐसा उत्सव हो गया है, जिसमें दूल्हा-दुलहन पीछे छूट जाते हैं और फ़ोकस में होते हैं आर्केस्ट्रा वाले अंकल और डांस फ़्लोर वाली मौसी।
आमंत्रण पत्र अब ‘लाल सुनहरी बॉर्डर’ से निकलकर पिकनिक प्लानिंग की बुकलेट बन गए हैं। ”आइए, हमारे बेटे की शादी में चार दिनों का रिट्रीट अनुभव करें!” जिसमें हर दिन एक नया इवेंट—बच्चों के लिए बाउंसी कैसल, युवाओं के लिए डांस बैटल, बड़ों के लिए रमी टूर्नामेंट, और दादी-नानी के लिए स्पेशल “किचन गॉसिप हॉल।”
अब शादी का मतलब सिर्फ़ विवाह नहीं, बल्कि एक मिनी मॉल का अनुभव है। हर जगह स्टॉल्स—गोलगप्पे से लेकर “वेडिंग फोटो बूथ” तक। बच्चों के लिए खिलौने, और बड़ों के लिए कॉकटेल बार। दूल्हा-दुलहन की मंडप में शादी हो रही होती है, और पीछे झूले पर बैठा बच्चा “आंटी, मेरी बारी कब आएगी?” पूछ रहा होता है।
और खाना! पहले हलवा, पूड़ी और रायता सब कुछ सरल और सुस्वाद होता था। अब शादी में 56 देशों के 112 व्यंजन हैं। चाइनीज़, इटैलियन, थाई, मैक्सिकन, और बीच में छुपी हुई एक कटोरी खीर—जिसे देखकर दादी कहती हैं, “हमें तो बस यही चाहिए थी!”
संगीत भी अब पारंपरिक नहीं रहा। पहले बैंड बाजे वाले “दिलवाले दुलहनिया ले जाएँगे” बजाते थे। अब “डीजे वाले बाबू” सबकी चप्पल घिसवा रहे हैं। दुलहन के दोस्तों का डांस परफ़ॉर्मेंस, फिर दूल्हे के भाई-भाभी की थिरकन—मानो शादी नहीं, रियलिटी शो का ‘फ़िनाले’ हो।
शादी का असली मज़ा तो तब आता है, जब किसी रिश्तेदार की नींद खुलती है और वह पूछता है, “दूल्हा कौन है?” क्योंकि चार दिनों के इवेंट में दूल्हा-दुलहन तो केवल दर्शक ही लगते हैं।
सवाल यह है कि यह सब कब ख़त्म होगा? या फिर आने वाले समय में विवाह आमंत्रण कार्ड पर लिखा मिलेगा:
“विवाह समारोह के साथ जुड़िए हमारे 'फ़ैमिली मैरिज कार्निवाल' में।
दिनांक: तीन दिन पहले से
स्थान: एक्स्ट्रा-लार्ज वेडिंग रिज़ॉर्ट
ड्रेस कोड: डिस्को रात, संस्कारी सुबह।
आइए, और हमारी ख़ुशी को ‘वर्ल्ड टूर’ जैसा बनाइए!”
शादी अब रिश्ता जोड़ने का नहीं, बल्कि मनोरंजन उद्योग का हिस्सा बन चुकी है।