योग करेगी

डॉ. जियाउर रहमान जाफरी (अंक: 174, फरवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

बहुत है लेकिन छोटी   ज़ेबा 
खा कर हो गई मोटी    ज़ेबा 
 
शाम हुई   तो सो  जाती    है 
रात में उठ -उठ कर खाती है 
 
बाहर जब भी ज़ेबा      जाए 
छोड़ के सब गोलगप्पे  खाए 
 
दूध वो  सारा   पी   जाती  है 
भूख न फिर भी मिट पाती है 
  
बनी हुई है  सबकी        रानी 
माँगती  माँ से   बस बिरयानी 
 
पापा   भी तो     आते   -जाते 
ख़ूब मिठाई     उसे     खिलाते 
 
मामा   मिलने     जब भी आएँ 
मक्खन   और मलाई       लाएँ 
 
जो कुछ    लाये   ज़ेबा    खाती 
वजह  है ये   मोटी    हो    जाती 
 
चले  तो   न चल    पाये    ज़ेबा 
फ़ौरन  ही थक     जाये     ज़ेबा 
 
पर अब   ज़ेबा  फ़िट  ही   रहेगी 
सुना है   अब   वो योग    करेगी 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

पुस्तक समीक्षा
साहित्यिक आलेख
बाल साहित्य कविता
स्मृति लेख
बात-चीत
पुस्तक चर्चा
किशोर साहित्य कविता
नज़्म
ग़ज़ल
कविता
कविता - क्षणिका
किशोर साहित्य कहानी
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में