खिलने लगे हैं

01-02-2022

खिलने लगे हैं

डॉ. जियाउर रहमान जाफरी (अंक: 198, फरवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

ख़ूबसूरत ये समां है 
फूल भी खिलने लगे हैं 
बादल उड़कर गगन से 
किस तरह मिलने लगे हैं 
 
हैं यहाँ पर एक नदी भी 
दौड़ती ही जा रही है 
मत रुको पग पर कभी तुम 
ये हमें बतला रही है 
 
आ गया है एक जुगनू 
आसमां पर यों चमकने 
जैसे कोई हो सितारा 
आ गया हो साथ चलने 
 
ये हवा जो बह रही है 
गंध है चंदन की इसमें 
छुईमुई लग रही है 
देखकर कचनार जिसमें 
 
किसने इस चिड़ियों को आख़िर 
रूप रंग परवाज़ दी है 
बादलों से बिजलियों से 
किसने फिर आवाज़ दी है॥

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