उठेगी

डॉ. जियाउर रहमान जाफरी (अंक: 204, मई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

बज़ाहिर और दिन ख़ाली उठेगी 
मगर वो ईद में जल्दी उठेगी 
 
चलो जल्दी चलें अपने घरों को 
अभी बस शाम में आँधी उठेगी 
 
ज़माना कब तलक दुश्मन बनेगा 
कहाँ तक प्यार की अर्थी उठेगी 
 
रहेगी फिर वही नफ़रत यहाँ पर 
सियासी जब कहीं बोली उठेगी 
  
कई दिल टूट जाएँगे यहाँ पर 
यहीं जब बीच से डोली उठेगी

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

पुस्तक समीक्षा
साहित्यिक आलेख
बाल साहित्य कविता
स्मृति लेख
बात-चीत
पुस्तक चर्चा
किशोर साहित्य कविता
नज़्म
ग़ज़ल
कविता
कविता - क्षणिका
किशोर साहित्य कहानी
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में