दादा का स्नान 

15-04-2022

दादा का स्नान 

डॉ. जियाउर रहमान जाफरी (अंक: 203, अप्रैल द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

जब छोटा था 
मुझे दादा नदी ले जाते थे 
हम दोनों नहा कर आते थे 
कुछ बड़ा हुआ तो 
न वो दादा रहे और न नदी रही॥
फिर पिता जी बग़ल के तालाब ले जाते थे 
वहीं से नहाकर लाते थे . . . 
पिता जी के साथ ही तालाब का पानी भी 
ख़त्म हो गया था . . . 
बारिश तीन साल तक नहीं हुई थी 
जब भाई 
मुझे कुएँ पर ले जाते थे 
और इतनी रस्सी जोड़ने के वाद भी 
आधा बाल्टी पानी ले पाते थे॥
आज नदी, तालाब, नलकूप 
सब सूख गये हैं 
अब हम अपने घर पर ही 
एक गड्ढे खुदवाते हैं 
और हर साल उगते और डूबते सूरज के साथ 
छट पर्व मनाते हैं . . .। 

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