आदत 

डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी (अंक: 285, अक्टूबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)


मुझे देखते ही 
तुम्हारे होंठों पर आ गई मुस्कान 
चेहरा खिल उठा रात रानी की तरह 
निगाहों में आ गई रेडियम सी चमक 
साँसें तेज़ हो गईं
छुटी हुई कश्ती की 
तरंग की तरह . . . 
मैंने समझा ये सब तुम्हारा प्यार है 
जबकि यह सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारी आदत थी . . .

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