यहीं-कहीं

15-04-2022

यहीं-कहीं

डॉ. जियाउर रहमान जाफरी (अंक: 203, अप्रैल द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

इस बार जब घर पहुँचा 
तो मेरी पेशानी पर कई रेखाएँ थीं 
मैं शिद्दत से सोचने लगा 
आख़िर मैं घर कैसे पहुँच गया 
ठीक दस साल पहले जब आया था 
तो इस रास्ते एक नदी थी 
कालू चाचा नाव चलाते थे 
जिससे हम आते-जाते थे 
हाँ पुल तो मिला था 
पर नदी नहीं थी 
मुझे याद है 
वो बिल्कुल यहीं कहीं थी . . . 

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