पढ़ना ही है 

01-05-2020

पढ़ना ही है 

डॉ. जियाउर रहमान जाफरी (अंक: 155, मई प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

अगर न   स्कूल हम  जाएँगे 
बोलो कैसे    पढ़      पाएँगे 


टीचर  मुझको   वहाँ बताते 
दो  से  कैसे  दो घट    जाते 


मैडम जब भी  वर्ग में आएँ 
ए से एप्पल   हमें     बताएँ 


ज्ञान  हमें सर   कितना देते 
क, ख, ग, घ   हम पढ़ लेते 


योग के टीचर जब आते हैं 
कसरत हमसे   करवाते  हैं 


दोस्त यहाँ हैं     कितने  सारे 
अलग -अलग पर प्यारे प्यारे 


होता है एग्ज़ाम  यहाँ     पर 
पढ़ना  ही   है काम  यहाँ पर 


सारे  बच्चे   अगर       पढ़ेंगे 
अनपढ़ कोई   नहीं      रहेंगे

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

पुस्तक समीक्षा
साहित्यिक आलेख
बाल साहित्य कविता
स्मृति लेख
बात-चीत
पुस्तक चर्चा
किशोर साहित्य कविता
नज़्म
ग़ज़ल
कविता
कविता - क्षणिका
किशोर साहित्य कहानी
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में