रिमझिम पानी 

01-07-2020

रिमझिम पानी 

डॉ. जियाउर रहमान जाफरी (अंक: 159, जुलाई प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

फिर बारिश का   मौसम  आया 
आसमान पर बादल        छाया 


लगी कड़कने  ज़ोर से बिजली 
पहुँची कितनी शोर  से बिजली 


शुरू हुआ फिर रिमझिम  पानी 
बदल गई ये    रुत ही    सुहानी 


मेंढक   की    आवाज़ें     आईं 
मछली ने     भी   ख़ुशी  मनाई 


मोर भी   नाचा  जंगल -जंगल 
बोला बत्तख  बरसो     बादल 


बीज ज़मीं  पे    नन्हीं      वाली 
बन गई इक   मज़बूत सी डाली 


जितने  थे     मुरझाये       पौधे 
हरे -भरे   हो    आये         पौधे 


और   मज़ा  बारिश    का आता 
जहाँ -तहाँ   न  जल जम  जाता 
 

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