प्रांत-प्रांत की कहानियाँ

प्रांत-प्रांत की कहानियाँ  (रचनाकार - देवी नागरानी)

लेखक परिचय

 

गर्शिया मारकुएज 

जन्म: मार्च 6, 1927 कोलंबिया में, अप्रैल 17, 2014 मेक्सिको शहर में अंतिम दिन गुज़ारे। वे उपन्यासकार, कहानीकार, एक बेहतरीन स्क्रीन लेखक थे। बीसवीं सदी के रौशन मिनार रहे, स्पैनिश और अंग्रेज़ी में लिखने में वे सिद्धस्त थे। उनकी कहानियाँ जन-जीवन का सजीव चत्रण हैं। वह मज़दूरों और मज़लूमों के साथी रहे। कोलंबिया उनका प्रवास क्षेत्र रहा। उनका कहना था। “सब कुछ जो मैंने सोचा है, जो कुछ मैंने जिया है वह मेरी किताबों में है।” 1972 में उन्हें Neustadt International Prize for Literature और 1982 में Nobel Prize for Literature हासिल हुआ। उनका सर्वश्रेष्ठ उपन्यास A hundred years of solitude (1969) है। The Autumn of the patriarch (1975) Love in the time of cholera (1985) में स्पैनिश व अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुए। 

नसीब अलश्द सीमाब

किताब का नाम: अंजीर के फूल 

बलोचिस्तान के अफ़साने (उर्दू अनुवाद व सम्पादनः अफ़्ज़ल मुराद) 

नसीब अलश्द सीमाब पिशिन (Pishin) में पैदा हुए, पशतु ज़ुबान के अफ़साना निगार हैं। बलूचिस्तान में पशतु ज़बान के लेक्चरर है। 

पता: पशतु डिपार्टमेंट, जामह, बलूचिस्तान। 

वहीद ज़हीर

किताब का नाम: अंजीर के फूल 

बलोचिस्तान के अफ़साने, उर्दू अनुवाद व सम्पादनः अफ़्ज़ल मुराद

अफ़्ज़ल मुराद एक शायर, अफ़साना निगार, उर्दू, बराहवी, और बलूची के हस्ताक्षर लेखक हैं। अकादमी अदबयात से जुड़े रहे।

पता: अकेडमी ओडाबयात, क्वेटा, पाकिस्तान

वहीद ज़हीर, जन्मः 3 जून 1921 क्वेटा में। बराहवी और उर्दू के अफ़साना निगार, बराहवी में उनका कहानी संग्रह, ‘शानज़ह’ मंजरे आम पर तव्वजू पा चुका है। बलूचिस्तान की हुकूमत से जुड़े हुए हैं।

पताः करीम साइकिल वर्क्स, प्रिंके रोड, क्वेटा। 

आरिफ जिया

किताब का नाम: अंजीर के फूल, बलोचिस्तान के अफ़साने, उर्दू अनुवाद व सम्पादनः अफ़्ज़ल मुराद

आरिफ़ ज़िया असली नाम मुहम्मद आरिफ़, 1953 में क्वेटा में पैदा हुए। बराहवी (बलूचिस्तान की भाषा) के अफ़साना निगार। उनका एक संग्रह “ज़राब” इसी भाषा में प्रकाशित हुआ है।

पता: पोस्ट बॉक्स 21, क्वेटा

फरीदा राज़ी

फरीदा राज़ी ईरानी कहानी निगार हैं। उनकी कहानियों का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया है। वे अपने आसपास के किरदारों को केन्द्रित करते हुए कहानी लिखती हैं, जो जीवन से सन्दर्भ रखते हैं। 

भगवान अटलाणी 

लारकाणा, सिंध। राजस्थान अकादमी के पूर्व अध्यक्ष। हिन्दी में 12, सिंधी में सात पुस्तकें प्रकाशित। इनमें चार उपन्यास, चार कहानी संग्रह, चार एकांकी संग्रह। दो संग्रह अनुवाद किये हैं। भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा वात्सल्य बाल साहित्य पुरस्कार की सिंधी सलाहकार समिति के पूर्व संयोजक, 26 पुरस्कार और 50 से अधिक सम्मान। 

पता: डी/183, मालवीय नगर, जयपुर-302017 

खुशवंत सिंह 

जन्मः 2 फरवरी 1915 हुदाली, पंजाब में हुआ (अब पाकिस्तान में)। पेशे से वे वकील रहे, लाहौर कोर्ट में आठ साल काम किया। लंदन में भी पत्रकारिता से जुड़े रहे। वे एक जाने माने पत्रकार, लेखक, व्यंग्यकार, कहानीकार, नॉवल निगार, और इतिहास के दायरे के हस्ताक्षर दस्तावेज़ रहे। कई साल अनेक पत्रिकाओं व अख़बारों के सम्पादक रहे। 1980-1986 तक उन्होंने राज्यसभा में अपनी सेवाएँ दीं। 1974 में उन्हें पद्मभूषण सम्मान से नवाज़ा गया। उनके प्रकाशित साहित्य का विस्तार वसीह है। उनका मशहूर नॉवल ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ 1956 में प्रकाशित हुआ। अन्य संग्रह थे, हिस्ट्री आफॅ सिख, रंजीत सिंघ (1963), ब्लैक जैसमिन (1971), दिल्ली (नॉवल-1990), वुमेन व मेन इन माइ लाइफ़ (1995), नावल द् सनसेट क्लब (2010) में और अनेक संग्रह प्रकाशित हुए। उनका देहान्त मार्च 20, 2014 में हुआ। 

इब्ने कंवल 

उर्दू अदब के विस्तार में उनका योगदान उल्लेखनीय है। पुस्तकें/ मोनोग्राफ-1984 से 2015 तक उनके 22 संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी कृतियाँ हैं, तीसरी दुनिया (लघु कथाएँ), बंद रास्ते (लघु कथाएँ), हिन्दुस्तानी तहज़ीब, एक मुतालिया, रियाज़-ए-दिलरुबा (शोध), आओ उर्दू सीखें, दास्तान से उपन्यास तक (आलोचना)-एस ऐन भाषा अकादमी, दिल्ली से प्रकाशित अनेक ग्रंथावली उर्दू में उनके नाम को रौशन करती हुईं। साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें हासिल पुरस्कार, हरियाणा उर्दू अकादमी 2007, उर्दू अकादमी फ़िक्शन पुरस्कार 2006, दिल्ली उर्दू अकादमी पुरस्कार 2004, बेस्ट कथा लेखक 2001 के लिए सर सैयद मिलेनियम अवार्ड, पी से उर्दू अकादमी, लखनऊ, 1985, बिहार उर्दू अकादमी, पटना, 1985 द्वारा सम्मानित, पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी, कोलकाता, 1985 द्वारा सम्मानित, दिल्ली उर्दू अकादमी बुक अवार्ड 2010, दिल्ली उर्दू अकादमी बुक पुरस्कार 2012, हरीश चंद्र कथपलिया दिल्ली विश्वविद्यालय, 1979 तक पुरस्कार! 

पता: 36-3 फ़्लोर, लेन न. 2, जौहरी फार्म, नूर नगर, जामिया नगर, नई दिल्ली-110025 कार्यालय: प्रो. इब्ने कंवल, HOD, दिल्ली वि. वि. 
Tel: 01127666627, 27667725, 1303, Mob: 09891455448
Email id: ibnekanwal@yahoo.com

जगदीश

गोश्त का टुकड़ा, ताशकंद (जुबेकिस्तान) 

उनका जन्म 1924 में जुबेकिस्तान में हुआ, बचपन वहीं बीता। पढ़ाई यू.के. में सम्पन्न की और वहीं कई वर्षों तक उनिवेर्सिटीएस में चान्सेलर के तौर स्थापित रहे। आपने वतन के, अपने इलाक़े में हो रही नाइंसाफ़ियों को उन्होंने उर्दू भाषा में ज़बान दी। अनेक संस्थाओं से सम्मानित अपनी अभिव्यक्त कहानी क़िस्सों को 3 संग्रहों में समाहित कर गए। हर कहानी में जन-मानस की कथा व्यथा दर्ज है। यही उनकी असली पहचान है। 

बलवंत सिंह

जन्म: 1915 अमृतसर ज़िला, बावा बलवंत के नाम से ज़्यादा जाने जाते थे। वे अपने समय के जाने-माने लेखक और कवि रहे। मोहम्मद इक़बाल की संगत में उन्होंने उर्दू काव्य लिखना शुरू किया, पर बाद में धीरे-धीरे अपनी मातृ भाषा पंजाबी में लिखने लगे। उनके पहले उर्दू संग्रह ‘शेर-ए-हिन्द’ पर ब्रिटिश गवर्नमेंट ने अपनी ओर से बंदिश लगा दी थी। उनके काव्य संग्रहों में शामिल थे अमर गीत, महा नाच, ज्वालामुखी, सुगंध समीर और बंगलादेश’। उनका ‘किस तराँ दे नाच’ नामक आलेखों का संग्रह प्रकाशित हुआ। 

वे जून 1972, न्यू दिल्ली, भारत में गुज़र गए। उनके बारे में उनके साहित्य के सिवा और कोई सूत्र व सुराग़ नहीं मिलता है। नेशता, पंजाब का बेहद पुरातन गाँव आजकल खंडहरों के रूप में पाया जाता है। उनकी दो बहिनें थीं पर वे गुमशुदा हैं। 

अरुणा जेठवाणी

एक जाना माना नाम, क्षिशाशास्त्री, समृद्ध लेखिका, एक अनुवादक व चित्रकार-बहुगुणी शख़्सियत की धनी, अवकाश प्राप्त-मीरा कॉलेज, पुणे की प्राध्यापिका, NCPSL, Ministry of HRD, DELHI की उपाध्यक्ष हैं। 

अपनी क़लम और कार्य से सिंधी समाज की सेवाओं में अपना योगदान दे रही हैं। उनकी प्रकाशित कृतियों में हैं: तीन नॉवल, दो काव्य संग्रह, प्रांतीय कहानियों का अनूदित संग्रह, और महान अदीब कविवर अब्दुल लतीफ़ पर लिखा संग्रह ‘द सूफी’। उन्होंने दादा जे.पी. वासवानी की जीवनी लिखी है जिसके डॉ. करण सिंह के पुरोवक हस्ताक्षर के रूप में संगृहीत हैं। साधू टी एल वासवानी की आत्मकथा का अनुवाद, ‘दादा उनके अपने शब्दों में’ पुस्तक का अंग्रेज़ी में ECSTASY and EXPERIENCES, A mystical journey नाम से अनुवाद किया है। Another Love, Another Key (AGI Award-2005), दूसरा नॉवेल Dance O’ Peacock, और At The Wedding प्रथा, प्यार और आगम के संगम का प्रतीक एवं बहुचर्चित नॉवेल रहे हैं। उनके लघुकथाओं के संग्रह “ब्रिज ओ रिवर कृष्णा” ने राजाजी कॉम्पटिशन में पहला इनाम हासिल। और उनका मराठी में किया हुआ अनुवाद चांदेरी घुरते, सोनेरी आकाश प्रकाशित है। रचनाएँ प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। अनेक बार पुणे में उनका आदर सम्मान हुआ है। 

संपर्क: H-2 प्लूटो सोसाइटी, कल्याणी नगर, पुणे-6, फोनः 0986060733

रेणु बहल 

जन्म: 6 अगस्त 1958 कपूरथला, पंजाब

एम.ए. (बी-एड) एम.ए. उर्दू, पीएच.डी., ‘इसमत चुगताई के अफ़सानों का फ़ानी व फ़िक्री जायज़ा’ पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ (2000)। उनके प्रकाशित कहानी संग्रह हैं: 1. आईना (2001), यू.पी. अकादमी से पुरस्कृत, 2. आँखों से दिल तक (2005), 3. कोई चारा साज़ होता (2008) यू.पी. उर्दू अकादमी से पुरस्कृत, 4. ख़ुश्बू मेरे आँगन की (2010) बिहार उर्दू अकादमी से पुरस्कृत, 5. बदली में छुपा चाँद (2012), 6. ख़ामोश सदाएँ (2013), राजिंदर सिंह बेदी पुरस्कार, भाषा विभाग पंजाब तथा बिहार उर्दू अकादमी से पुरस्कृत, 6. हिंदी व उर्दू पत्रिकाओं में कहानियाँ प्रकाशित होती हैं। ‘कस्तूरी’ नाम का कहानी-संग्रह हिंदी में प्रकाशित। अनेक राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय सम्मेलन व अधिवेशनों में भागीदारी। टीवी रेडियो पर कहानी पाठ। 

सम्मान: लाला जगत नारायण अवार्ड (अक्तूबर 2003), अमृता प्रीतम सरस्वती सम्मान अवार्ड (2010) 

संपर्क: 1505, सैक्टर 49-बी, चंडीगढ़-160047, फोन: 0978155

डॉ. नइमत गुलची

किताब का नाम: अंजीर के फूल, बलोचिस्तान के अफ़साने (उर्दू अनुवाद व सम्पादनः अफ़्ज़ल मुराद) 

डॉ. नइमत गुलची 18 अप्रैल, 1929 को मकरान में पैदा हुए। पेशे से डॉक्टर। बलूची ज़बान में अफ़साने पर बख़ूबी क़लम आज़माई है। 

पता: डायरेक्टर जनरल हैल्थ बलूचिस्तान, क्वेटा

मैक्सिम गोर्की 

मैक्सीम गोर्की का जन्म 28 मार्च 1868, 18 जून 1936 Moscow में निज़्हना नोवगोरोद (आधुनिक गोर्की) नगर में हुआ। 1892 में गोर्की की पहली कहानी “मकार चुंद्रा” प्रकाशित हुई। गोर्की की प्रारंभिक कृतियों में रोमांसवाद और यथार्थवाद का मेल दिखाई देता है। “बाज़ के बारे में गीत” (1895), “झंझा-तरंगिका के बारे में गीत” (1895) और “बुढ़िया इजेर्गील” (1901) नामक कृतियों में क्रांतिकारी भावनाएँ प्रकट हो गई थीं। दो उपन्यासों, “फोमा गोर्देयेव” (1899) और “तीनों” (1901) में गोर्की ने शहर के अमीर और ग़रीब लोगों के जीवन का वर्णन किया है। गोर्की ने अनेक नाटक लिखे, जैसे “सूर्य के बच्चे” (1905), “बर्बर” (1905), “तह में” (1902) आदि, जो बुजुर्आ विचारधारा के विरुद्ध थे। नाटक “शत्रु” (1906) और “माँ” उपन्यास में (1906) गोर्की ने बुजुर्आ लोगों और मज़दूरों के संघर्ष का वर्णन किया है। “मेरा बचपन” (1912-13), “लोगों के बीच” (1914) और “मेरे विश्वविद्यालय” (1923) उपन्यासों में गोर्की ने अपनी जीवनी प्रकट की। इन्होंने अनेक पत्रिकाओं और पुस्तकों का संपादन किया। गोर्की सोवियत लेखकसंघ के सभापति थे। गोर्की की समाधि मॉस्को के क्रेमलिन के समीप है। मॉस्को में गोर्की संग्रहालय की स्थापना की गई थी। गोर्की की अनेक कृतियाँ भारतीय भाषाओं में अनूदित हुई हैं। महान हिंदी लेखक प्रेमचंद गोर्की के उपासक थे। 

द.बा. मोकाशी 

द.बा. मोकाशी का जन्म 1915 में हुआ। मराठी साहित्य के सिद्धस्त हस्ताक्षर, जिनके ज्ञान का सागर एक पैमाना है। उनकी कहानियों के संग्रह प्रकाशित हुए वे हैं: लामण दावा। 1941/ कथा मोहिनी। 1953/ आमोद सनासी आली, 1960। बाल साहित्य पर भी उनकी चार पुस्तकें प्रकाशित हुईं। “आमोद सनासी आली” संग्रह पर महाराष्ट्र सरकार की ओर से इनाम व सम्मान मिला। 

यह मराठी कहानी सिन्धी साहित्यकार निर्मल वासुदेव ने सिन्धी में अनुवाद की है, जिसका मैंने हिन्दी अनुवाद किया है। 

दीपक कुमार बुड्की 

जन्मः 15 फ़रवरी 1950, श्रीनगर, कश्मीर में। 

कश्मीर विश्वविद्यालय से एम.एससी., बी.एड., अदीब-ए-माहिर (जामिया उर्दू, अलीगढ़), नेशनल डिफ़ेंस कॉलेज, नई दिल्ली। देश के कई विभागों में, आर्मी डाक विभाग में अपनी सेवाएँ दी हैं। श्रीनगर की पत्रिकाओं के लिए कार्टूनिस्ट रहे। श्रीनगर में ‘उकाब हफ्तेवार’ के सहकारी संपादक के रूप में कार्य किया है। 

उर्दू में 100 कहानियाँ भारत, पाकिस्तान, और अन्य यूरोप के देशों में छपी हैं। पुस्तकों पर समीक्षाएँ व उनकी पुस्तकों की समीक्षाएँ “हमारी जुबान” में छपती रही हैं। प्रकाशित पुस्तकों की सूची कुछ इस तरह हैं: कहानी संग्रह-अधूरे चेहरे (2005), चिनार के पंजे के तीन संस्करण, रेज़ा रेज़ा हयात, रूह का कर्ब, मुट्ठी भर रेत। उनकी अनेक कहानियाँ अंग्रेज़ी, कश्मीरी, मराठी, तेलुगु में अनूदित हुई हैं। अनगिनत संस्थाओं व शोध विद्यालयों से सम्मानितः राष्ट्रीय गौरव सम्मान व कालिदास सम्मान 2008 में हासिल है। 

पता: ए-102, एस. जी. इम्प्रैशंस, सैक्टर 4 बी, वसुन्धरा, गाजियाबाद-201012

फोन: 9868271199, ईमेल: deepak.budki@gmail.com 

डॉ. अली दोस्त बलूच

किताब का नाम: अंजीर के फूल, बलोचिस्तान के अफ़साने (उर्दू अनुवाद व सम्पादनः अफ़्ज़ल मुराद) 

डॉ. अली दोस्त बलूच 10 मई 1955 को पंजगुर (Panjgur) में पैदा हुए। बलूची ज़बान के शायर, कालम निगार हैं। 

पता: M C Complex, Doctor’s Flats, Bolan Medical College, Queta

हेनरी ग्राहम ग्रीन 

जन्म: इंग्लैंड में 2 अक्तूबर 1904 में हुआ और उनका अंतकाल, 3 अप्रैल 1991 स्विट्ज़रलैंड में हुआ। उनका लेखन काल 1925-1991 तक रहा। वे जाने माने मशहूर अंग्रेज़ लेखक, नाटककर एवं बेहतरीन समीक्षक भी थे। उनका पहला काव्य 1925 में छपा व पहला नॉवल ‘द मैन वीदिन’ 1929 में प्रकाशित हुआ। उसके उपरांत उनके दो संग्रह ‘The name in action’ (1930) and ‘Rumor at Nightfaal’ (1932) बहुत चर्चित रहे। 67 सालों के लेखन में उनके 25 नॉवल प्रकाशित होने के बाद भी उन्हें कभी Nobel Prize for Literature नहीं दिया गया। उनका पहला नाटक ‘The Living Room’ 1953 में रचा गया। Britain की ओर से उन्हें ‘Order Of Merit’ हासिल था। 

हमरा ख़लीक़ 

हमरा ख़लीक़ का जन्म 1938, दिल्ली में हुआ। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से बी.ए., बी.एड. और एलएलबी किया। उनके अनेक अफ़साने, और अनुवाद कार्य प्रकाशित हैं। रुसकिन बॉन्ड के नॉवेल ‘कबूतरों की परवाज़’ का अनुवाद भी प्रकाशित है। उनके पिता रबिया पिनहाँ उर्दू, फ़ारसी के साहिब दीवान शायर थे। 

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