छोटा सा सच

15-11-2019

छोटा सा सच

राहुलदेव गौतम

तुमसे परिचय होना सही था।
या तुमसे अनजान होना सही था?
इसे भ्रम कहूँ, या सच।
कि आज हम एक-दूसरे को जानते हैं।
विश्वास तो मुझे आज भी नहीं,
तुम्हारी स्मृति का मैं धुँधला चेहरा हूँ।
कितने जल्दी बीत गये वो दिन,
जब हम-तुम
अपनी-अपनी भावनाओं से जुड़े थे।
मैं तुम्हारे लिए एक नया अनुभव था।
जिससे तुमने अपनी,
अर्द्धसत्य संवेदनाओं को
परखना चाहा था।

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