मेरी कविता

01-09-2019

राजनेताओं की चाटुकारिता नहीं 
मेरी कविता 
प्रेमिका का चाँद-तारों वाला शृंगार नहीं 
मेरी कविता 
धर्म-जाति, मज़हब का भेद नहीं 
मेरी कविता 
स्वार्थ की चार दिवारी वाली क़ैद नहीं 
मेरी कविता 
हास्य के नाम पर फूहड़ता नहीं 
मेरी कविता 
मंचीय लिफ़ाफ़ों की मोहताज़ नहीं 
मेरी कविता 
कोई सुर, ताल, लय गीत नहीं 
मेरी कविता 
दिख जाते जहाँ कहीं बेबस बहते आँसू 
वहीं बन जाती मेरी कविता 
बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार से जन-जन लाचार 
सड़ा-गला सिस्टम बेकार 
नित-नित होते बलात्कार 
शासन के अत्याचार 
मानवता की होती हार 
महँगाई की पड़ती मार 
मेरी कविता है तलवार।

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