सिंदूर

डॉ. विनीत मोहन औदिच्य (अंक: 279, जून द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 
(साॅनेट) 
 
माथे का सिंदूर मिटा कर खेली ख़ून की होली
आतंकी, सरकार पाक की दोनों हैं हमजोली। 
पहलगाम में जात पूछ कर पर्यटकों को मारा
निर्दोषों का लहू बहाकर भारत को ललकारा॥
 
हाफ़िज़, अज़हर, लखवी जैसे मानवता पर भारी
देश मिटाने की निशदिन जो करते हैं तैयारी। 
पाक और सेना का हरदम पाकर घृणित समर्थन
घातक शस्त्रों, धन के बल पर करते आये गर्जन॥
 
ऑपरेशन सिंदूर चलाकर दिया जवाब करारा
आतंकी अड्डे तबाह कर, घर में घुस कर मारा। 
दुश्मन के हमदर्दों के भी लग गये होश ठिकाने
रंग बदलते रहे सदा पर चले न कोई बहाने॥
 
ईर्ष्या से जलभुन कर दुश्मन विष का करे वमन है। 
भारत की शक्ति के आगे करता विश्व नमन है॥

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