देवता

डॉ. विनीत मोहन औदिच्य (अंक: 282, अगस्त प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

(सॉनेट) 
 
जो अव्यक्त था, वह मौन भी था
न जाने . . . वह पथिक कौन था? 
था वह विश्वास से परे, काल्पनिक
चला गया जीवन से आकस्मिक। 
 
किसी भी प्रश्न का उत्तर था नहीं
अकेलेपन की भीड़ में वह था यहीं
चलता नियमों के सर्पिल पथ पर
अदृश्य आलिंगन में सदा रह कर। 
 
उन्मुक्त हो नहीं पाता यह बाहुपाश 
बंधनों के पर्वतों में वह हो निराश
सुबह की लालिमा में प्राण आश्रित
साँझ होते ही मन की नाव सहित। 
 
कौन था वह? राजा या महानायक? 
प्रासादों के पत्थरों में जीवित गायक? 

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