रंग समपर्ण का 

01-07-2023

रंग समपर्ण का 

नीरजा हेमेन्द्र (अंक: 232, जुलाई प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

पत्तों से पूर्ण वृक्ष सेमल का
वृक्ष मुग्ध था 
शाखाओं पर
लहराते हरे पत्तों के मोहक सौन्दर्य पर
समय बदला, ऋतुएँ बदलीं
पत्ते पीले हुए 
एक-एक कर गिरने लगे
भूमि पर
कभी स्वतः, कभी वायु के हल्के झोकों से 
वृक्ष देखता . . . अपनी सूनी पत्र-विहीन टहनियाँ
अपने गिरे पत्ते
द्रवित हृदय वृक्ष का
वसंत में भी नये पत्ते नहीं निकलने देता
पत्र-विहीन शाखाओं पर
उसने भर दिये हैं 
असंख्य रक्ताभ पुष्प . . . उन निपात टहनियों पर
हवाओं में घुल गये हैं
रंग प्रेम के, नेह के, समपर्ण के
 संतृप्त हो उठा है 
वृक्ष गर्म ऋतुओं में भी . . .।

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