अंकुरण

नीरजा हेमेन्द्र (अंक: 285, अक्टूबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

बच्चे स्त्री के कोख से जन्म लेते हैं
उसकी नाभि नाल के साथ 
ममता, मातृत्व की अदृश्य, अटूट डोर 
जुड़ी रहती है
जैसे जुड़ा रहता है वृक्ष 
अपनी जड़ों के साथ
जैसे नयी फ़सल का अंकुर 
जुड़ा रहता है बीजों के साथ। 
वृद्धावस्था में क्यों वो अकेलेपन का बोझ लेकर
इस दुनिया से चली जाती है 
स्त्री क्यों हो जाती है अकेली? 

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