प्रतीक्षा न करो
नीरजा हेमेन्द्र
ओह! ये कक्ष
अत्यन्त शीतल
शन्ति से परिपूर्ण, सुसज्जित
मैं आज बहुत ख़ुश हूँ
मुझे वर्तमान में रहना है
जिसे मैंने बनाया है
अब मैं किसी के कहने से
अपनी शिक्षा नहीं छोड़ूँगी
किसी कापुरूष के कहने से
अपनी उजली ज़िन्दगी की ओर
क़दम बढ़ाना नहीं छोड़ूँगी
मैं अपने इस उच्च पद पर बैठ कर
पीड़ितों की सेवा करूँगी
स्त्रियों को उस मार्ग पर
चलने के लिए प्रेरित करूँगी
जिस पर चल कर वो आत्मनिर्भर बनें
तुम स्वयं उड़ान भरो
किसी और की प्रतीक्षा न करो
कि कोई आएगा
तुम्हें सम्मान के मार्ग पर अग्रसर करने।
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