फागुन और कोयल

01-04-2023

फागुन और कोयल

नीरजा हेमेन्द्र (अंक: 226, अप्रैल प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

मेरे घर से निकलने वाली 
सड़क अब
आम और महुए की गंध से 
सराबोर होने लगी है
कोयल की कूक का अर्थ
अब ऋतुएँ समझने लगी हैं
नदी की लहरों में 
श्वेत बगुले 
अपनी परछाइयों को देखे हुए
उड़ जाते हैं
फागुन की हवाओं में
रंगों के साथ तुम्हारी
स्मृतियाँ भी घुलने लगी हैं। 

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