नीला सूट

15-08-2025

नीला सूट

नीरजा हेमेन्द्र (अंक: 282, अगस्त प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

आज तुमने पुनः पहना है 
वही नीला सूट
मेरे घर के सामने से निकलने वाली
सड़क से 
तुम जा रहे हो गन्तव्य की ओर
जैसा कि तुम अक्सर करते हो
सुलभ मार्गों के होते हुए भी
तुम/मेरे घर के सामने से 
गुज़रते हो, बहुधा
समय के पन्नों पर स्मृतियाँ
लिखती जा रही हैं
अनेक कवितायें
नेहबन्ध ने तय किये हैं अन्तराल
हरे खेत, फूलों से भरी पगडडियाँ . . .
पत्तों के संगीत से झंकृत 
महुए, पलाश के वन . . . 
भोर के तारे को निहारती सुबह . . . 
वे सब कुछ जिसे मैंने देखा था
तुम्हारे स्वप्निल नेत्रों से
और एक दिन . . . 
न जाने क्यों मैंने 
तुम्हें दिया था वही नीला सूट
मैं नहीं जानती . . . नीले सूट का अर्थ
तुमने भी बड़े यत्न से रखा था 
अपने पास नीले सूट को
जैसे कोई ख़ूबसूरत लम्हे को
रखता है यत्न से हृदय में
धवल चाँदनी की भाँति
न जाने कैसे आहिस्ता . . . आहिस्ता . . . 
शरद . . . वसन्त . . . शिशिर . . . हेमन्त . . . 
सभी ऋतुएँ परिवर्तित हो गयीं
शीत ऋतु में
हो गईं गडमड एक ऋतु . . . शीत में
मैं देखती रही . . . तुम देखते रहे . . . 
इतनी बर्फ़ीली कि 
फाहे-सी बर्फ़ भरने लगी है    
तुम्हारे बालों में . . . सूट पर . . . 
सूट का नीला रंग बदलने लगा है कुछ . . . 
फिर भी तुम गुज़रते हो, बहुधा . . . 
मेरे घर के सामने से निकलने वाली 
सड़क से
वही, नीला सूट पहन कर . . . 

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