युगपुरुष
कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'
जीवन में कुछ करना है तो, आलस को तजना होगा।
बग़ैर रुके और बिना थके, नित्य तुम्हें चलना होगा॥
सपने बड़े सजाए हो तो, शोलों पर चलना होगा।
नींदें छोटी करनी होंगी, वश में मन करना होगा॥
सूरज जैसा बनना है तो, सूरज सा जलना होगा॥
उतर आएगा द्यौ धरा पर, लक्ष्य सिद्ध करना होगा॥
दिव्यास्त्र अगर पाना है तो, कठोर तप करना होगा।
आएगी गंगा ज़मीन पर, दिव्यपुरुष बनना होगा॥
अविचल निर्मल बनना है तो, ध्रुव सा प्रण करना होगा।
सजेगा ताज सर पर तेरे, हुंकार बस भरना होगा॥
शिखर पर जो पहुँचना है तो, दर्प दमन करना होगा।
युगों युगों तक पूजा होगी, नव सर्जन करना होगा॥
जीव संधान करना है तो, जितेन्द्रिय बनना होगा।
होगा आसमान मुट्ठी में, श्रद्धा को रखना होगा।
पाना है यदि अमृत कलश तो, सागर को मथना होगा।
होंगे कृष्ण सारथी तेरे, पार्थ तुम्हें बनना होगा॥
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