आदिशक्ति मात भवानी

15-04-2024

आदिशक्ति मात भवानी

कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति' (अंक: 251, अप्रैल द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

आदिशक्ति हे मात भवानी, 
आप हैं मातु जग कल्याणी। 
 
हम आए माँ द्वार तुम्हारे, 
दूर करो माँ कष्ट हमारे। 
ज्ञान की मात ज्योत जला दो, 
मन से सारे बैर मिटा दो। 
आप हैं मातु जग कल्याणी, 
आदिशक्ति हे मात भवानी। 
  
ब्रह्मा ने जब जगत रचाया, 
तुम बिन जग सूना-सूना पाया। 
वाग्देवी माँ बन चली आयी। 
वीणा का मधुर सुर सुनाया। 
आप हैं मातु जग कल्याणी, 
आदिशक्ति हे मात भवानी। 
 
देवों पर जब संकट छाया, 
महिषासुर उत्पात मचाया। 
दुर्गा रूप धरि चली आई, 
महिषासुर को मार गिराया। 
आप हैं मातु जग कल्याणी, 
आदिशक्ति हे मात भवानी। 
 
शुंभ-निशुंभ जब ज़ुल्म ढाया, 
स्वर्गलोक में संकट छाया। 
कौशिकी माँ बन चली आई, 
दैत्यों को माँ मार गिराया। 
आप हैं मातु जग कल्याणी, 
आदिशक्ति हे मात भवानी। 
 
रक्तबीज दानव बलशाली, 
देवों की छीनी ख़ुशहाली। 
माँ कालिका रूप में आई, 
रक्तबीज को स्वर्ग रसाई। 
आप हैं मातु जग कल्याणी, 
आदिशक्ति हे मात भवानी। 
 
भू पर फिर से विपदा आई, 
मनुज पर घोर विपत्ति छाई। 
जग कल्याणी मैय्या आओ, 
माता सारी पीड़ मिटाओ। 
आप हैं मातु जग कल्याणी, 
आदिशक्ति हे मात भवानी। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
गीत-नवगीत
सामाजिक आलेख
किशोर साहित्य कहानी
बच्चों के मुख से
चिन्तन
आप-बीती
सांस्कृतिक आलेख
किशोर साहित्य कविता
चम्पू-काव्य
साहित्यिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में