नवदुर्गा

15-10-2021

नवदुर्गा

कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति' (अंक: 191, अक्टूबर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

पूजा  मेरी  स्वीकारो  माता,
जग-जननी  जगदंबे  माता।
नवरूप धर मेरी प्यारी मैय्या,
घर  में  मेरे   पधारो   माता।
    पूजा मेरी . . .
 
प्रथम  रूप  शैलपुत्री  माता,
हृदय  बीच  समाओ  माता।
अपनी अनुपम प्रभा से मैय्या,
तन-मन निश्छल बना दो माता।
    पूजा मेरी . . .
 
द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी माता,
ज्ञान का ज्योत जला दो माता।
सन्मार्ग से हम डीग नहीं पाये,
सद्ज्ञान  हमें  करा  दो  माता।
    पूजा मेरी . . .
 
तृतीय  रूप  चंद्रघंटा  माता,
नैनं  बीच  बस जाओ माता।
करके  दया  वृष्टि   हे  मैय्या,
अलौकिक छवि दिखाओ माता।
    पूजा मेरी . . .
 
कोटि नमन स्वीकारो माता,
जग-जननी कुष्मांडा माता।
अष्ट सिद्धि  को  देने  वाली,
आदिशक्ति, अष्टभुजा माता।
    पूजा मेरी . . .
 
पंचम  रूप  हे  स्कंदमाता,
मातृस्वरूपिणी, विश्वविधाता।
ममता की आँचल को फैलाओ,
शरण में अपने बिठाओ माता।
    पूजा मेरी . . .
 
जय-जय-जय कात्यानी माता,
रोग-शोक-भय हारिणी माता।
अपनी  कृपा  दृष्टि  से  मैय्या,
मुक्ति का मार्ग दिखाओ माता।
    पूजा मेरी . . .
 
सप्तम रूप कालरात्रि माता,
जग-जननी  जगदंबे  माता।
असुरों का वध करके मैय्या,
सारे  कष्ट  मिटा  दो  माता।
    पूजा मेरी . . .
 
सुख-समृद्धि प्रदायिनी माता,
जय-जय-जय महागौरी माता।
वृषारूढ़ा   हे   त्रिशूलधारणी,
घर   में   मेरे   पधारो   माता।
    पूजा मेरी . . .
 
सिद्धि दात्री  नवदुर्गा  माता,
विनती  मेरी  स्वीकारो माता।
जय-जय-जय जगदंबे भवानी,
हृदय    बीच    पधारो   माता।
    पूजा मेरी . . .

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