करना होगा कर्म महान
कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'
यूँ ही नहीं किसी को, दुनिया में पूजा जाता।
महादेव बनने को, हलाहल को पिया जाता॥
चाहत है यदि तेरी, मिले तुमको भी सम्मान।
हे नर सुनो तुमको, करना होगा कर्म महान॥
औरों के आसरे जो, बैठे रह जाते हैं।
पाते नहीं मंज़िल को, भीड़ में खो जाते हैं॥
चाहते हो यदि तुम भी, कुछ कर दर्शाने को।
तो दौड़ो जी जान से, ख़ुद को आज़माने को॥
होते हैं जो कायर, वो क़िस्मत को रोते हैं।
मानव जन्म पा कर भी, उसे यूँ ही खोते हैं॥
करना है यदि तुमको, ज़िन्दगी को सफल अपना।
तज करके आलस को, पड़ेगा अग्नि में तपना॥
लहरों से घबराकर, जो पीछे हट जाते हैं।
ज़रा पूछो उनसे तुम, क्या मोती पाते हैं?
पाना है यदि तुमको, दुनिया में ऊँचा स्थान।
ऐ नर सुनो फिर से, करना होगा कर्म महान॥
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