प्रकृति को सहेजें

15-06-2022

प्रकृति को सहेजें

कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति' (अंक: 207, जून द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

सात अरब से अधिक आबादी और जैव विविधता की लाखों प्रजातियों का निवास स्थान हमारी पृथ्वी यानी हम सब की धरती माता ब्रह्माण्ड का सबसे सुंदर व जीवित ग्रह है। पृथ्वी के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन हेतु पर्याप्त मात्रा में आवश्यक सभी तत्व विद्यमान हैं। पृथ्वी हमें हमारी माता के समान हमारे जीवन के लिए आवश्यक तत्व को मुफ़्त में प्रदान करती है और हम मनुष्य स्वार्थवश व अधिक पाने की लालसा में पृथ्वी के प्रति दयाभाव न रखकर और क्रूर होते जा रहे हैं। असीमित प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर हम स्वयं अपने लिए विकट स्थिति पैदा कर रहे हैं। अगर इसी तरह प्राकृतिक संसाधनों का दोहन होता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब हमारी प्यारी पृथ्वी अपनी ख़ूबसूरती खो चुकेगी और हमारे जीवन पर संकट के बादल छा जाएँगे—क्योंकि पृथ्वी के बिना जीवन की कल्पना करना निरर्थक है। इसलिए पृथ्वी को बचाना हम सब की ज़िम्मेदारी ही नहीं आवश्यकता भी है। 

विश्व पर्यावरण दिवस या पृथ्वी दिवस वर्ष भर में किसी निश्चित तिथि को मना लेने तथा उक्त अवसर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर लेने मात्र से हम अपनी प्रकृति को सहेज नहीं सकते हैं। अतः आज आवश्यकता है कि हम हर दिन को पर्यावरण संरक्षण दिवस व पृथ्वी दिवस के रूप में मनाए। क्योंकि किसी ने सच ही कहा है कि "हम अपने आसपास की दुनिया पर प्रभाव डाले बिना एक भी दिन नहीं गुज़ार सकते। हम जो करते हैं उससे फ़र्क़ पड़ता है और हमें यह तय करना होता है कि हम किस तरह का फ़र्क़ करना चाहते हैं।” निश्चय ही हम सब चाहते हैं कि हमारी पृथ्वी सुरक्षित रहे, हमारा पर्यावरण संतुलित हो तो इसके लिए आवश्यक है कि पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रकृति को सहेजने में अपना-अपना योगदान देना होगा। किसी व्यक्ति विशेष या मात्र योजना बना लेने से हम अपनी पृथ्वी को सुरक्षित नहीं रख पाएँगे। इसलिए आइए हम सब मिलकर इस पर्यावरण दिवस पर संकल्प लें कि हम अपनी पृथ्वी को सहेजने के लिए सार्थक प्रयास करेंगे। मुझे लगता है कि यह कार्य इतना मुश्किल भी नहीं है। हम अपने रोज़मर्रा की आदतों और व्यवहारों में अपेक्षित सुधार कर इस दिशा में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं। हम अपने आसपास के परिवेश, सामुदायिक भवन, पार्क, नदी, तालाब आदि की स्वच्छता का ध्यान रख हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ रख सकते हैं। पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियों के माध्यम से अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने का प्रयास कर सकते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि हम अपने आसपास पौधों को लगाए और उन पौधों का संरक्षण करें। सिंगल यूज़ प्लास्टिक के इस्तेमाल को ना कहें और अपने वातावरण को दूषित होने से बचाएँ। इसके साथ ही हम सब को इस बात का ध्यान रखना होगा कि प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग न हो। जल संरक्षण वर्तमान समय की आवश्यक माँग है अतः हमें पानी को बर्बाद होने से बचाना होगा इसके लिए हमें हमारी आदतों में अपेक्षित सुधार लाने की आवश्यकता है। निकट भविष्य में बिजली की कमी हो सकती है अतः सौर ऊर्जा को बिजली के विकल्प के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश की जानी चाहिए। इन सब के साथ हमें अन्न संरक्षण पर भी ध्यान देना होगा क्योंकि बहुत सी प्रजातियाँ अन्न के अभाव के कारण अपने अस्तित्व को खोती जा रही है जो हमारे स्वस्थ पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है। इसलिए हमें भोजन बर्बाद न हो इसके लिए सजग रहना होगा कहा भी गया है—उतना ही लें थाली में कि अन्न का एक भी दाना व्यर्थ न जाए नाली में। सड़ सकने वाले कचरों को हम जैविक खाद में बदलकर पर्यावरण स्वच्छता को प्रोत्साहित कर सकते हैं। कम उपभोक्ता वाली जीवनशैली को अपनाकर हम अपनी इस ख़ूबसूरत सी प्रकृति को सहेज सकते हैं। 

एक नागरिक के रूप में, समाज के सदस्य के रूप में हम सब की ये नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है कि जिस धरती माता से हम अपने जीवन के लिए सभी आवश्यक तत्व को ग्रहण करते हैं उसे सहेजने में और प्रकृति को ख़ूबसूरत बनाए रखने में अपना पूरा-पूरा योगदान दें। 

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