नव संवत्सर

01-04-2022

नव संवत्सर

कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति' (अंक: 202, अप्रैल प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

नववर्ष का करें अभिनंदन, 
माँ दुर्गा का करें हम वंदन। 
आदिमाता के आगमन से, 
धूल का कण-कण हुआ चंदन। 
 
कितना सुंदर, कितना प्यारा, 
विष्णु ने इस जग को सँवारा। 
अवनी से देखो अम्बर तक, 
स्वर्गिक रश्मियों से निखारा। 
 
सिन्दूरी भोर लिए आया, 
नववर्ष नव चेतना लाया। 
सूरज बिखरे स्नेहिल किरणें, 
झरना ने भैरवी सुनाया। 
 
सीखें इंसानियत से रहना, 
भूलकर भी कटुवचन न कहना। 
हम प्रेम की बाँटे सौग़ातें, 
दीन-दुखियों की सेवा करना। 
 
कर में ले पुष्प और चंदन, 
नववर्ष का करें अभिनंदन। 
आओ, अपने शुभाचरण से, 
हम प्रकृति का करें संवर्धन। 

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