प्रीत जहाँ की रीत
कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'है प्रीत जहाँ की रीत सदा,
हम उस राष्ट्र की बाला हैं।
जहाँ की माटी का कण -कण,
मानवता का रखवाला है।
भारत प्यारा देश हमारा,
सब देशों से न्यारा है।
जहाँ के जन-जन के मन में,
बहती प्रीत की धारा है।
जहाँ की पावन माटी में,
ममता ने आँचल फैलाया है।
ऊँच-नीच का भेद मिटाकर,
समरसता का दीप जलाया है।
राम सिया ने आकर यहाँ,
त्याग का अर्थ समझाया है।
और राधा श्याम की जोड़ी ने,
प्रीत का दरिया बहाया है।
सब रिश्तों में देखो जहाँ,
प्यार ही प्यार समाया है।
विश्वास और भरोसा जहाँ,
हर रिश्ते को पावन बनाया है।
हम उस भारत की बाला हैं,
जहाँ हर दिल में प्रेम समाया है।
अपना पराया का भेद मिटा,
विश्व बंधुत्व का पाठ पढ़ाया है।
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