हमारा देश हमारी ज़िम्मेदारी

15-08-2024

हमारा देश हमारी ज़िम्मेदारी

कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति' (अंक: 259, अगस्त द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

सुपंथ के पंथ पर, 
हम आगे बढ़ते जाएँगे। 
राष्ट्र के कल्याणार्थ हम, 
अपना कर्म करते जाएँगे। 
स्वार्थ साधना की आँधी में, 
अपनी दृष्टि न गवाएँगे। 

जी हाँ, आज यही भाव भारत के हर एक नागरिक के मन में जगाने की आवश्यकता है, तभी भारत फिर से अपनी पुरातन संस्कृति को जीवंत कर पाएगा और दुनिया का मार्ग प्रशस्त करने में सक्षम होगा। आज हमारा देश आज़ादी की 78 वीं वर्षगाँठ बड़े हर्षोउल्लास से मना रहा है। हर तरफ़ ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ है। तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। देश के कोने-कोने से भारत माता के जयकारे की गूँज सुनाई दे रही है। हर भारतवासी आज ख़ुश है, आनंदित है। आज का दिन हम भारतवासी के लिए गौरव का दिन है। एक दूसरे को गले लगाकर बधाइयाँ देने, मिठाइयाँ खाने-खिलाने के साथ-साथ आज का दिन भारत माँ के उन वीर शहीदों को याद करने का भी है जिन्होंने अपनी जान की बाज़ी लगाकर हमें यह आज़ादी दिलाई है। हमारे देश के अनेक वीर सपूतों ने अँग्रेज़ों द्वारा दी गई नाना प्रकार के यातनाओं को सहकर, अपनी जान की क़ुर्बानियाँ देकर माँ भारती के पैरों में पड़ी परतंत्रता की बेड़ियाँ तोड़कर भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में विश्व मानचित्र पर उदयमान किया। 

इनके अटल इरादें देख
फिरंगियों का रोम-रोम थर्राया। 
भारत माँ के वीर सपूतों ने
भारत का मान बढ़ाया॥

आज हमारे देश को आज़ाद हुए सात दशक बीत चुके हैं और इन सात दशकों में ज़माना काफ़ी बदल गया है। आज भारत विश्व मानचित्र पर एक सशक्त राष्ट्र का रूप ले चुका है। ऐसे में हम भारत के लोगों का यह परम कर्त्तव्य हो जाता है कि हम अपनी आज़ादी को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए राष्ट्र सर्वोपरि की भावना से अपने-अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से करें। साथ ही हम अपने बच्चों को यह भी बताएँ कि जिस स्वतंत्र भारत में आज हम स्वतंत्रता पूर्वक सम्मान की ज़िन्दगी जी रहे हैं, इसे प्राप्त करने में हमारे अपनों ने ही ख़ून बहाया है। अँग्रेज़ों की तरह-तरह की यातनाओं को सहा है। काल-कोठरी में डाले गए, कोड़े से पीटे गए, अँग्रेज़ों की गालियाँ एवं गोलियाँ खाईं, फाँसी के फंदों पर चढ़ाए गए। अपने उन वीर शहीदों की क़ुर्बानियों की वजह से ही आज हम आज़ादी का रसास्वादन कर पा रहे हैं। यानी आज़ादी हमें अँग्रेज़ों द्वारा दिया गया कोई उपहार नहीं है, बल्कि इसे प्राप्त करने के लिए हमने हज़ारों-हज़ार क़ुर्बानियाँ दी है, यातनाएँ झेली है। 

हज़ारों क़ुर्बानियाँ देकर
हमने यह आज़ादी पाई है। 
भारत माँ की रक्षा करने की
क़समें हमने खाई हैं॥

इसलिए स्वन्त्रता दिवस के इस पावन अवसर पर हम उन वीर शहीदों को नमन करते हैं और संकल्प लेते हैं कि किसी भी क़ीमत पर हम भारत माँ के आँचल में कोई दाग नहीं लगने देंगे। देश हमारे लिए सर्वोपरि है। इसकी रक्षा हमारा परम् कर्त्तव्य है। हमें आज़ादी के सही अर्थ को समझना होगा। स्वन्त्रता और स्वच्छंदता के भेद को समझना होगा। अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्त्तव्यों के प्रति सजग रहना होगा तभी हम एक अच्छे नागरिक बन पाएँगे। और हम अपने बच्चों को यह भी बताऍंगे कि आज हम जिस खोज व आविष्कार पर गर्व कर रहे हैं उसका रहस्य हमारे शास्त्रों में विद्यमान है जिसे जानने की हमें ज़रूरत है। हमारे पास गर्व करने के अथाह भंडार है, हमारा समृद्ध इतिहास है, हमारी चेतनामयी सांस्कृतिक विरासत है जो हमें “मुट्ठी में आसमान” को करने की बुलंद हौसला प्रदान करती है। 

स्वाधीनता के पावन अवसर पर
आओ हम शुभ कर्म करें। 
देश को संप्रभु बनाने में
आपना भी कुछ योगदान करें॥
जय भारत, जय भारती!!

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
ललित निबन्ध
दोहे
गीत-नवगीत
सामाजिक आलेख
किशोर साहित्य कहानी
बच्चों के मुख से
चिन्तन
आप-बीती
सांस्कृतिक आलेख
किशोर साहित्य कविता
चम्पू-काव्य
साहित्यिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में