कवि होना सौभाग्य है

01-09-2021

कवि होना सौभाग्य है

कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति' (अंक: 188, सितम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

पंचतत्व के परिधानों से
ईश्वर ने हमें रचाया है
धन्य है भाग्य हमारे
मानव जीवन हमने पाया है।

बिल्कुल सही मानव जन्म पाना ही अपने आप में बहुत बड़ी बात है। कहते हैं कई योनियों में भटकने के बाद हमें यह मानव देह प्राप्त होती है। किसी ने सच कहा है कि मानव होना भाग्य की बात है पर कवि होना तो सौभाग्य की बात है। और हम बहुत ख़ुशनसीब हैं कि हमें यह सौभाग्य प्राप्त है।

यह तो है सौभाग्य हमारा,
प्रभु ने खास हमें बनाया है।
कर के मध्य लेखनी को थमा,
असीम कृपा को बरसाया है।

जब ईश्वर ने हमें इतना खूबसूरत और खास बनाया है तो हमारा परम् कर्तव्य बनता है कि हम अपनी लेखनी के माध्यम से सृष्टि को सुंदर व खुशहाल बनाने में अपना योगदान देकर अपने इस बहुमूल्य जीवन को सार्थक बनाएँ।जब हमें लेखनी की शक्ति प्राप्त है तो हम उसका सदुपयोग करें। कहते हैं क़लम की धार तलवार से भी तेज़ होती है। जो काम तलवार न कर सके वो क़लम कर जाती है।

अपनी लेखनी में प्यार का 
रंग भरकर तो देखो
सारी दुनिया तुम्हारे समक्ष
नतमस्तक हो जाएगी।

साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है और साहित्य में इतनी शक्ति होती है कि यह समाज की दशा व दिशा बदल सकती है। जब साहित्य में इतनी ताक़त है तो हम साहित्यकारों का यह दायित्व बनता है कि कुछ भी लिखने से पहले हमें अच्छी तरह विचार करना है कि हम क्या लिखें, क्यों लिखें, हमारे लिखने का उद्देश्य क्या है?

क्योंकि हम रचनाकार हैं, समाज को रचने की शक्ति हममें व्याप्त है। अतः हमें वैसा कुछ भी लिखने से बचना होगा, जिससे समाज में नाकारात्मक संदेश पहुँचे।

सब का हित जिसमें हो समाहित
ऐसे साहित्य का सृजन हमें करना है
राग-द्वेष, भेदभाव मिटाकर
सुंदर समाज हमें रचना है।

यह सच है कि जिस बात का प्रचार हम करते हैं उसी का प्रसार होता है। इसलिए हमें अपनी रचनाओं में वैसी बातों का उल्लेख नहीं करना चाहिए जिससे पाठकगण के मन में निराशा घर कर जाए। हमें हमेशा साकारात्मक ऊर्जाओं से परिपूर्ण रचनाओं का सृजन करना चाहिए । जिससे हमारा जो उद्देश्य है सृष्टि को सुंदर व ख़ुशहाल बनाना, उसमें हम सफल हो सकें।

अपने करपल्लवों में सुशोभित लेखनी में
उच्च आदर्शों का रंग हमें भरना है
उन रंगों के रस में डूबकर
सुंदर समाज हमें रचना है।
 

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