चले वसंती बयार

15-03-2022

चले वसंती बयार

कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति' (अंक: 201, मार्च द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

(मनहरण घनाक्षरी)
 
चले वसंती बयार, 
छाया सबपे ख़ुमार, 
होकर हंस सवार, 
आई चन्द्रकांति माँ। 
 
छेड़ दी वीणा की तार, 
झंकृत हुआ संसार, 
छाई ख़ुशियाँ अपार, 
आई चन्द्रकांति माँ। 
 
छटा घोर अंधकार, 
हुआ जग ख़ुशहाल, 
देने ज्ञान का भंडार, 
आई चन्द्रकांति माँ। 
 
पूजे-पूजे नर-नार, 
करे सब जयकार, 
देने आशीष अपार, 
आई चन्द्रकांति माँ। 

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