नव निर्माण

15-09-2022

नव निर्माण

कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति' (अंक: 213, सितम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

युग है यह निर्माण का, 
नूतन अनुसंधान का। 
हम भी कुछ योगदान करें, 
अपना चरित्र निर्माण करें। 
 
प्रकृति ने है हमें रचाया, 
निर्मल काया दे सजाया। 
इसका हम अभिमान करें, 
माँ प्रकृति का सम्मान करें। 
 
मानव अंग हमने पाया, 
सुंदर सृष्टि की हम पे छाया। 
इसका हम गुणगान करें, 
वसुधा का कल्याण करें। 
 
हर सुख सुविधा यहाँ से पाते, 
फिर क्यों हम भूल जाते। 
करनी है हमको रखवाली, 
माँ वसुधा का बन कर माली। 
 
निर्माणों के पावन युग में, 
हम चरित्र निर्माण करें। 
अपने सत्कर्मों से हम, 
सतयुग का आह्वान करें। 
 
देकर अपनी निर्मल आहुति, 
माँ प्रकृति का करके स्तुति। 
जीवन अपना साकार करें, 
फिर निज धाम प्रस्थान करें। 

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