मेरी क़लम

15-03-2022

मेरी क़लम

कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति' (अंक: 201, मार्च द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

ऐ क़लम, मेरी क़लम, 
करूँ मैं तुझको नमन। 
ऐ क़लम . . .
 
तुझसे विनती है ख़ास, 
 करूँ लिखने का प्रयास। 
तब देना तुम साथ, 
सदा रहना मेरे हाथ। 
ऐ क़लम . . .
 
मेरी लेखनी में हो दम, 
रहे न कोई भ्रम, 
पढ़कर मेरे विचार, 
सुखमय हो संसार। 
ऐ क़लम . . .
 
भरकर उमंगो का रंग, 
लेकर अपनों का संग। 
रहे कोई न उदास, 
पूरी हो सबकी आस। 
ऐ क़लम . . .
 
मिले ज्ञान का प्रकाश, 
रच दूँ मैं इतिहास। 
मिटे बैर का भाव, 
बढ़े मैत्री का प्रभाव। 
ऐ क़लम . . .
 
सकारात्मक हो विचार, 
करूँ इसका प्रसार। 
रच दूँ सुंदर कोई गान, 
बने जो मेरी पहचान। 
ऐ क़लम . . .
 
एक-एक शब्द में हो दम, 
रुके न कभी मेरी क़लम। 
देना सदा मेरा साथ, 
थामे रखना मेरा हाथ। 
ऐ क़लम . . .

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