इतिहास बदलने की बातें कर
कितनी बाह्य ख़ुशी मनाओ
भीतर के घाव को दबाओ
इतिहास ऐसे नहीं बदलता मेरे दोस्त
छल से बातें बना कर
इतिहास बदलने की बातें बेमानी है
भीतर में ज़हर है
बाहर निर्मल पानी है
मनुष्य में जन्म लेने की सार्थकता
तुमने जानी है?
इतिहास बदलते हैं
बेचारे परिश्रम कर श्रमिक लोग
कभी भी समय का नहीं करते दुरुपयोग
समय के तक़ाज़े को महसूसते हैं
लोहा, हीरा, कोयला, चाँदी, अभ्रक
कल कारखाने में
बोते हैं श्रम के बीज
इतिहास बदलते हैं
देश विदेश में जाता है उनका श्रम
श्रम का फल
वे नहीं जानते कल छल बल
वे समय को पहचानते हैं
अपनी सीमा को शक्ति भर
इतिहास बनाते हैं
इतिहास उन्हें नहीं भूल सकता
क्यों श्रम से सींचा गया
सुस्वादु इतिहास अच्छा होता है
मोहनजोदड़ो, हड़प्पा की संस्कृति
इसीलिए थाती है
वहाँ श्रम-श्रमिक की दीया बाती है।