विशेषांक: दलित साहित्य

11 Sep, 2020

पथरीली चट्टान पर
हथौड़े की चोट 
चिंगारी को जन्म देती है 
जो जब तब आग बन जाती है 
आग में तप कर
लोहा नर्म पड़ जाता है 
ढल जाता है 
मन चाहे आकार में 
हथौड़े की चोट से 
एक तुम हो 
जिस पर 
किसी चोट का असर नहीं होता।

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