तुम कहाँ हो
वह देखो छप्पर पर बहा जा रहा आदमी
दूसरे छप्पर पर साँप बिच्छू
गाँव पूरा उजाड़ हो गया बाढ़ में
मेरा खेत मेरी किताब
मेरी माँ की कुर्ती कहाँ है
ओखल जिस में धान कूटती थी माँ
कितना भारी है
वह भी बाहर जा रहा है
मैं टुकुर-टुकुर ताकती हूँ
पूरा सन्नाटा पसर गया है
बाढ़ से कई गाँव बाढ़ में
विलीन है अब कहाँ है काला गोरा
पवन सूत इसमें
सभी एक इसमें सभी एक हो गए हैं