तीन प्रकार के
अणुओं से मिलकर
बनता है हमारा रक्त
पढ़ा था मैंने
विज्ञान की पुस्तकों में
रक्त सुर्ख होता है
रक्ताणु से और
प्रत्येक कोशिका तक
पहुँचती है ऑक्सीजन
श्वेताणु दिलाते हैं मुक्ति
रोगों से और
बढ़ाते हैं प्रतिरोधक क्षमता
बिम्बाणु कारगर है चोट में
नहीं बहता है रक्त
किंतु हज़ारों सालों के
इतिहास से
शोध करके पाया है मैंने
ग़लत हैं विज्ञान की पुस्तकें
विज्ञान की नज़र
नहीं खोज पाई
चतुर्थ अणु को
भारतीयों के रक्त में
इसी के आधार पर
ब्राह्मण सर्वश्रेष्ठ
क्षत्रिय अतिश्रेष्ठ
वैश्य श्रेष्ठ कहलाते हैं
शूद्रों में भी पाया जाता है
न्यूनाधिक मात्रा में और
किसी को शूद्र तथा
किसी को महाशूद्र बना देता है
श्रेष्ठाणु।