ज़िन्दगी की खिड़की से

15-04-2023

ज़िन्दगी की खिड़की से

कपिल कुमार (अंक: 227, अप्रैल द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

ज़िन्दगी की खिड़की से
मौत झाँक रही है
जैसी कोई बिल्ली
चूहे पर टकटकी 
लगाये हुए बैठी हो। 
 
मैं बार-बार
बेबस होकर
यमराज के 
लेखाकार को
आवाज़ लगा रहा हूँ। 
 
मैं बार-बार उसको
रिश्वत देने की
कोशिश कर रहा हूँ
किन्तु, यह लेखाकार
उस लिपिक के जैसा नहींं है
जैसा, अक़्सर मुझको
दफ़्तरों में मिलता है। 
वह मेरी ज़िन्दगी के ऊपर
क्रॉस का निशान 
लगा चुका है। 
 
मैं उस निशान को
मिटाना चाहता हूँ, 
परन्तु उसकी स्याही
उस काग़ज़ पर 
उतनी गहरी छपी है
जितना गहरा
मेरे तंत्र में भ्रष्टाचार। 

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