बिचौलिया

01-06-2025

बिचौलिया

कपिल कुमार (अंक: 278, जून प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

बिचौलिए ने गंभीर होते हुए शान्ति से कहा, “अनामिका के लिए एक लड़का देखा है, बड़े धरने के लोग है। सामाजिक एवं प्रतिष्ठित परिवार है। चार लाख रुपये प्रति महीने किराये के आ रहे है और गंगा पार सवा सौ बीघा ज़मीन है। अनामिका सुख में रहेगी।” 

बृजलाल ने अपनी शंका जताई, “बाबूजी, हमारी इतनी औक़ात कहाँ कि इतने बड़े घर में अनामिका का रिश्ता कर दे।” 

बिचौलिए ने कहा, “एक रुपये का रिश्ता है और कोई माँग-जांच भी नहीं है।”

बृजलाल ने बात टालनी चाही, “बाबूजी, अनामिका ने अभी दसवी पास की है। इसको बारहवीं पास कर लेने दो।”

बिचौलिए ने ज़ोर दिया, “अरे! बृजलाल मैं तो यह कह रहा था कि रिश्ता जोट का है। लड़का भी बहुत समझदार है।” 

मुकेश ने मुँह पर घूँघट ढकते हुए कहा, “सही कह रहे हैं, जेठ। आपको बस यह दो-तीन बीघे ज़मीन दिख रही है। तुम्हें सब कुछ पता है, बड़ी लड़की की शादी डेढ़ बीघा बेचकर करनी पड़ी थी। अनामिका की शादी किसी बड़े घर में हो जायेगी तो संजय के लिए यह दो-तीन बीघे ज़मीन बची रहेगी।”

संजय ने हकलाते हुए, “तितनी उमल है लड़ते ती।”

बिचौलिया बोला, “यही होगी कोई 40-42 साल।” 

संजय ने माथे को सिकुड़ते हुए , “इतने बदे धराने में लड़ता तालीत ताल तत तुँवारा बैता है। पलिवाल में तोई-न-तोई बात होदी।” 

बृजलाल ने संजय को धमकाते हुए कहा, “ज़्यादा बड़ा मत बन। अपने काम पर ध्यान दे।”

बिचौलिए ने बड़े धीरे स्वर में बृजलाल से कहा, “घर में दो लड़कियाँ भी हैं। अनामिका के काम में सहयोग करेंगी। बड़ी लड़की आठवीं क्लास में है और छोटी पाँचवीं क्लास में।” 

शान्ति ने डरते हुए बिचौलिया से पूछा, “पहले वाली छोड़ दी या मर गयी?” 

बिचौलिए ने बताया , “रसोई में काम कर रही थी। ओढ़नी ने गैस चूल्हे से आग पकड़ ली और उसी से जलकर मर गई।” 

संजय फिर बोला, “माल दी या मल दयी।” 

बिचौलिया ने खीझते हुए कहा, “बृजलाल, संजय को संस्कार नाम की कोई चीज़ दी है या नहीं। इसके अन्दर बिल्कुल भी संस्कार नहीं है; इसको यह नहीं पता बड़ों से किस प्रकार बात की जाती है।” 

अनामिका जो अभी तक चुपचाप सब सुन रही थी, बोल पड़ी, “अंकल जी। आम भी अपने अन्दर के ज़मीर को मत मारो। जिनके बारे में आप बात कर रहे हो, उसी गाँव में हमारी मौसी की ननद है। जब वह बहू जली थी, उन्होंने बताया था कि यह जली नहीं जलाई गयी थी।” 

बिचौलिए ने मोबाइल को कान से लगाते हुए बृजलाल से कहा, “अच्छा बृजलाल अभी मैं चलता हूँ, घर पर कुछ मेहमान आ गये हैं।” 

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