इस दुनिया को इतना छला गया है

01-12-2023

इस दुनिया को इतना छला गया है

कपिल कुमार (अंक: 242, दिसंबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

किसी पथ पर
फूल बिछाने पर 
लोग उस पथ पर चलते नहीं हैं
अपितु देखते हैं
संदेह की दृष्टि से 
फूल बिछाने वाले को। 
 
इस दुनिया को इतना छला गया है
किसी के दुःख में 
शामिल होने को समझा जाता है
स्वार्थ। 
 
जो जितना ज़्यादा छलता है
वो उतना ज़्यादा चलता है
दुनिया दिखावे पर चल रही है
सच की ग़लतफ़हमी पल रही है
उसके बाद भी . . . . . . . . . 
छलना जारी है
चलना जारी है। 

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