हिंडन नदी पार करते हुए

01-04-2024

हिंडन नदी पार करते हुए

कपिल कुमार (अंक: 250, अप्रैल प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

मेरे पूर्ववर्ती कवियों की
आँखों ने 
जब भी कुछ देखना चाहा
वे जाकर बैठ गये
नदी के किनारे; 
 
और बैठ कर देखने लगे
नदियों में 
भिन्न-भिन्न प्रकार की मछलियों को
गोता लगाते हुए। 
 
उनकी थकी हुई आँखों ने देखा—
मीलों दूरी तय करने के बाद भी
लहरों को ऊपर उठते हुए
आगे बढ़ते हुए
रेत के कानों में कुछ कहते हुए। 
 
पुल के ऊपर से पत्थर फेंककर
कविताओं को संगीत में ढालते हुए
थके हुए राहगीरों को 
नदी के किनारे खड़े
पेड़ों के नीचे पालथी मारते हुए। 
 
नदी के बीचों-बीच से 
गुज़रती हुई नाव
नदी को पार करते हुए
लोग
और तट पर गड़ा हुआ
एक छोटा-सा खम्बा
लंगर बाँधने के लिए। 
 
उन्होंने महसूस किया
उस हवा को भी
जो स्पर्श करके आ रही थी
नदी को। 
 
मेरे अनुवर्ती कवियों की कविताओं में 
तैरती हुई मिलेगी
मछलियों की जगह
पॉलीथीन, 
मल्लाहों के द्वारा नाव तोड़कर
जला देने की 
कहानी और कविताएँ। 

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