रहस्य

पवन कुमार ‘मारुत’ (अंक: 289, दिसंबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मलहम मल दिया पिल्ले के पैर में
रोटी भी खिलाई पुचकारकर प्यार से
जो बेहद दर्द के कारण 
चीत्कार कर रहा था ज़ोर-ज़ोर से। 
 
क्योंकि कभी कहा था माँ ने बचपन में, 
समझाकर के कि बेटा—
“जानवर बिना झोली का मँगता होता है” 
 
अब समझा हूँ उस रहस्य को कि
इससे दौलत तो नहीं
परन्तु सुकून अथाह अपार मिलता है॥

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