नदी नहरों का निवेदन

15-06-2025

नदी नहरों का निवेदन

पवन कुमार ‘मारुत’ (अंक: 279, जून द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)


(मनहरण कवित्त छन्द) 
 
सुन्दर सजा सारा शहर स्वप्न-सा सुहाना, 
चारु चम्बल चमकती चाहत जगाती। 
शीतल सुहावनी नहरें नदी निकालती, 
कैसे कहूँ कितनी कोटा को शोभा सजाती? 
वाक़या व्याकुल कल का करता कलेजे को, 
मैले मन से नदी-नहरें गन्दी हो जाती। 
स्वर्ग-सी सुखद नदी नहरें नवाती नार, 
डालो क्यों कचरा काया कालिख लग जाती?

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