कितना ज़हर भरा है

01-12-2025

कितना ज़हर भरा है

पवन कुमार ‘मारुत’ (अंक: 289, दिसंबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

पत्नी से छीन लिया सुन्दर कंगन
जो पहना था अभी कुछ रोज़ पहले। 
 
बाग़ के फूलों से छीना माली को
जो साल दो साल के थे अभी। 
 
ममता का काट दिया कलेजा
जो था बुढ़ापे की एकमात्र लकड़ी। 
 
बूढ़े के काट दिये हाथ
जो अब लिख नहीं सकेंगे सुख-दुख की कहानी। 
 
और उस कलिका ने खो दिया फूल
जो खिल न सकेगा कभी भी। 
 
क्योंकि परोसी गई थी नफ़रत उस दरिन्दे को
रोटी की जगह थाली में। 

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