धराड़ी धरती की रक्षा करती है
पवन कुमार ‘मारुत’
(मनहरण कवित्त छन्द)
पहचानो पूर्व परम्परा प्राकृतिक प्रथा,
प्रकृति प्रेमी पाक पेड़-पौधों को कहते।
पुरानी प्रथा धराड़ी धरती की करे रक्षा,
प्रकृति पृथ्वी के ख़ातिर सन्ताप सहते।
प्रत्येक परिवार प्रेम करे कुलवृक्ष को,
फेरे वर-वधू विवाह वृक्ष के गहते।
वृक्ष प्रतीक प्रकृति “मारुत” मातृशक्ति का,
जल-जंगल-ज़मीन रक्षा करो कहते॥