नादानी के घाव
पवन कुमार ‘मारुत’
(मनहरण कवित्त छन्द)
निर्णय नादानीयुक्त नश्तर सम सालते,
प्यारे परिजन परिणाम पीड़ा पाते हैं।
समझ संस्कार सहनशक्ति सकल शून्य,
प्राण प्यारे पंछी दारुण दर्द दे जाते हैं।
पंखहीन प्रसु-पिता पछताते पड़े नीड़,
जग जीवन बाक़ी बिलखते बिताते हैं।
अथाह अन्धे कूप कलपे पिता-माँ मारुत,
छोटी-छोटी बातों पर पुत्र मर जाते हैं॥
1 टिप्पणियाँ
-
नादानी में आत्महत्या कर गुजरने वाली संतानों पर मर्म स्पर्शी कविता जिसमें माता-पिता का दर्द छलका है।