सात क्षणिकाएँ!

01-06-2023

सात क्षणिकाएँ!

डॉ. आर.बी. भण्डारकर (अंक: 230, जून प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

1.
दिन तो बीता
नहीं बीती भूख से जद्दोजेहद की कहानी
कल से फिर। 
2.
गये वे दिन
कच्चे घर, नीम की छाँव, पक्षी बहुतेरे
कंक्रीट का जंगल। 
3.
कब का बीता
ज़माना हल बैल का, सिंचाई परोहे की
अंत आनंद का। 
4.
युग का रुख़
रूखा रूखा सा सब कुछ, नया युग
काल जल का। 
5.
कल या कल
युग है कल का, क्यों हुआ बेकल
हल की पहल। 
6.
चाय की चाह
नींबू पानी, हल्दी वाला दूध और छाछ
लस्सी भी अच्छी। 
7.
विष ही घोला
हमने, हवा ने; फ़सल में धरा में
चलो लौट चलें। 

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