आतंकी राजा कोरोना
डॉ. आर.बी. भण्डारकरराज-काज के लिए प्रतिदिन की तरह आज भी देवनपुर के राजा और महामंत्री की मन्त्रणा चल रही थी।
"मंत्री जी कुछ दिनों से मैं देख रहा हूँ कि नगर में सब कुछ ठीक सा नहीं लग रहा है; क्या कारण है?"
"ठीक कहा महाराज आपने। कुछ दिनों से मैं भी ऐसा ही अनुभव कर रहा था। खोजबीन करने पर मुझे ज्ञात हुआ कि पड़ोस का आतंकी राजा कोरोना अपने नगर पर आक्रमण करने की फ़िराक़ में हैं, वह पूरी तैयारियाँ कर चुका है। अभी हाल ही में उसके कुछ संदिग्ध लोग सीमा पर पकड़े भी जा चुके हैं। इसीलिए लोग किंचित भयभीत से हैं। ...आज यह बात मैं आपको बताने ही वाला था।"
"इतनी गम्भीर बात तो सबसे पहले बतानी चाहिए थी मंत्री जी। ...ख़ैर। ...तो अब ऐसी स्थिति में क्या करना उचित होगा,मंत्री जी?"
"महाराज यह कोरोना बहुत दुर्दम्य है। इसने कई अन्य राज्यों में भी अपना आतंक फैला रखा है। इससे सीधे-सीधे लड़ने के संसाधन अपने पास नहीं हैं इसलिए मुझे तो यह उचित लगता है कि कुछ दिनों के लिए नगर का फाटक बंद करवा दिया जाय।"
राजा साहब कुछ सोचते हुए बोले, "हाँ, मंत्री जी ऐसा करना ही ठीक होगा।"
राजा के आदेश से नगर का मुख्य फाटक बंद कर दिया गया। अब नगर का कोई आदमी न बाहर जा सकता था न ही बाहर का कोई व्यक्ति अंदर आ सकता था।
आक्रमण से भयभीत होकर नगर तो बंद कर दिया गया पर अब आफ़त उन नागरिकों पर आ पड़ी जो व्यापार के सिलसिले में या धार्मिक यात्रा पर या अन्य किसी कार्य से बाहर गए हुए थे।
बाहर फँसे सब लोग यह तो जानते थे कि राजा साहब बहुत सहृदय हैं, संवेदनशील हैं। सो वे लोग आश्वस्त तो थे कि उनके हित में कुछ न कुछ किया ही जायेगा पर देर होने से उनका धैर्य टूटने लगा और वे इधर-उधर से जत्थों में नगर की ओर आने लगे।
यह बात जब राजा साहब को पता चली तो वह व्याकुल हो उठे। उन्होंने लोगों से अपील की, "इस तरह जत्थे बनाकर आना ठीक नहीं है। आतंकी राजा कोरोना उन्हें क्षति पहुँचा सकता है और यदि आप सबके लिए नगर का फाटक खोला गया तो आपके साथ-साथ कोरोना भी नगर में प्रवेश करके भारी जनहानि कर सकता है।... आप सबसे आग्रह है कि अभी जहाँ हैं वहीं रहें।हम आप सबके रहने-ठहरने, भोजन-पानी और सुरक्षा के सारे इन्तज़ामात वहीं करेंगें।"
अब राजा साहब को यह सुकून है कि नगर के सब लोग सम्पूर्ण आपसी मतभेद भुलाकर उनको सहयोग कर रहे हैं। राजा को यह भी विश्वास है कि नगर में खाद्यान्न आदि का पर्याप्त भंडार है। नगर में अनेक वैज्ञानिक तरह-तरह के ज्ञान में निष्णात हैं। सो राजा ने सैकड़ों वालंटियर्स तैयार करवाये, उनके लिए ऐसे सुरक्षा कवच बनवाये कि जिन पर कोरोना के आक्रमण का कोई असर न पड़े। फिर राजा ने बाहर फँसे लोगों तक रसद पहुँचानी प्रारम्भ कर दी।
जीवनयापन की सामग्रियाँ पाकर लोग ख़ुश हुए। उन्होंने आतंकी राजा कोरोना की दुष्प्रवृत्ति को समझा और फिर उनकी समझ में यह भी आ गया था कि आतंकी कोरोना से निपटने का एक मात्र उपाय इस तरह की तालाबंदी ही है। नतीजन उन्होंने नगर की ओर पलायन करना बंद कर दिया।
हतप्रभ कोरोना की स्थिति अब देखने लायक़ थी।
2 टिप्पणियाँ
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समकालीन परिदृश्य पर सुंदर कथा
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कहानी बहुत पसंद आई,शब्द विन्यास प्रभावशाली था।बहुत बहुत बधाई।
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